Ravish kumar

कई लोग लिख रहे हैं कि कोरोना के कारण जब उड़ानें रद्द हुई तब विमान कंपनियों ने टिकट का पैसा नहीं लौटाया। अभी तक सबके पैसे वापस हो जाने चाहिए थे। ये तो विमान उड़ाए बग़ैर कमाई हो गई। नागरिक उड्डयन मंत्री मंत्रालय को बताना चाहिए कि 3 मई तक हर दिन के हिसाब के कितने टिकट बुक थे और उनका क्या हिसाब होता है। कई लोगों के तो लाख लाख रुपये तक फँस गए हैं। ठीक है कि हमारे मिडिल क्लास का एक राष्ट्रीय चरित्र हो गया है। वह संकट की घड़ी में दस बीस हज़ार की माँग नहीं करेगा लेकिन कंपनियों का भी तो राष्ट्रीय चरित्र होना चाहिए।


क्या उन्हें अपनी तरफ़ से साफ़ साफ़ नहीं कहना चाहिए कि वे पैसा नहीं देंगी या फिर उन्हें कहना चाहिए कि टिकट के पैसे बिना शर्त लौटा देंगी। तारीख़ देनी चाहिए ताकि लोगों को दिक़्क़त न हो।अगर पैसा रखना ही है तो विमान कंपनियाँ और ट्रैवल कंपनियाँ इतना कह दें कि देशहित में वो पैसा नहीं लौटा सकेंगी। मिडिल क्लास इसे सहज स्वीकार कर लेगा। कह देगा कि उनका पैसा भारतवर्ष के प्रति योगदान समझ कर कंपनियाँ रख लें।

लेकिन मिडिल क्लास से खुल कर तो बात की जाए। अभी सभी को और थाली बजाने हैं। अब बीच में ये ध्यान आ जाए कि बीस हज़ार विमान कंपनी के पास फँसा है तो थाली की कंपन कम हो सकती है। कंपन में विध्न पैदा होने से राष्ट्र यज्ञ में बाधा आ सकती है। हम अपेक्षित परिणाम से वंचित हो सकते हैं।


भारतीय रेल ने साफ़ कहा है कि जिनके टिकट रद्द हो रहे हैं उनके पैसे लौटाए जाएँगे। रेल के टिकट भी तो ट्रैवल एजेंट काटते हैं।

इस पत्र में यह बात सही है कि विमान कंपनियाँ कैसे मजबूर कर सकती हैं कि अगली यात्रा में हिसाब हो जाएगा? अगर यात्रा नहीं करनी हो तो। कई लोगों ने विदेश के टिकट कटा रखें हैं। अब वो एक दो साल तो जाने से रहें। तो फिर उनका पैसा रखने का क्या तुक है ?

हमारे बिज़नेस घरानों का भारतवर्ष के लिए योगदान का रिकार्ड ठीक नहीं लग रहा है। वे प्रधानमंत्री की अपील को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं।

From : Ravish Kumar Wall

Sir, due to coronavirus crisis all airlines have cancelled their flights till 3rd may 2020,ok, but why they are not returning the money, 1st thing they are doing is keeping the refund amount in their hands. their may be change in plan of travel but they are forcing us to travel.2nd thing that restrict it that same passenger has to travel, which is totally unacceptable, some reservations have 3 to 4 persons along with, they are forced to travel together  how is it possible that all 3 to 4 person will plan again together to recover their hard earned money from these airlines, 3rd. they also charge fare difference, may be we can't afford that. My request is to The Ministry of Civil Aviation to look into this Matter seriously because all 3 rules are in favour of Airlines not in favour of passengers, they need the money in the current situation,  they are in crisis,  but airlines are playing with us. But ministers of Civil Aviation is just watching it, Sir give some relaxation to passengers by taking strict action against these Airlines, because only you can do that...hope you will take this matter seriously.....

From : Ravish Kumar Facebook Wall